Nojoto: Largest Storytelling Platform

"प्रकृति में कोई भेदभाव नहीं" चाहे आप महल में रहो

"प्रकृति में कोई भेदभाव नहीं"

चाहे आप महल में रहो
 झोपड़ी में रहो
 प्रकृति की समानता
 मैं कोई भी भेदभाव नहीं

 चाहे महल में रहो
या झोपड़ी में रहो
 अंतिम यात्रा में
 कोई भेदभाव नहीं

 चाहे मंगल ग्रह पर रहो
या
 सोने के महल में रहो
 अंत में  माता पृथ्वी
 हमारी राख को
 अपनी ममता की
 मिट्टी में समेट लेती है
 और  उस पर भी कोई भेदभाव नहीं

©Rakhi  Gupta
  #City #poem #kavita