ममता मुझको थोड़ी चोट लगी तो, किसी - किसी ने आह भरी। किसी-किसी ने नजर घुमाकर, अपनी - अपनी राह धरी। किसी - किसी ने देखा पूछा, और किसी ने सहलाया। और किसी ने मुझसे ज्यादा, मेरी पीड़ा अपनाया।। इन सारे लोगो में वह जो, आँसू छिपा - छिपा रोई। जब तक चोट गयी न जड़ से, तब तक जागी, ना सोई। ऐसी पीड़ा कहाँ, कौन है, ममता पर हो जिसकी जय। नेह शक्ति वह दिव्य शक्ति है, जिससे मिलता मान, विजय।। ...................कौशल तिवारी ©Kaushal Kumar #ममता