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आसमां हिल रहा है परिंदे घबरा रहे है,कुदरत खेल रही

आसमां हिल रहा है परिंदे घबरा रहे है,कुदरत खेल रही है क्या अजब खेल,आज कांटे मुस्करा रहे है.

शोर शायद ज्यादा है मेरी धड़कनों के बाज़ार में,,खरीदार बोली लगा रहे है,सनम चुपके से आँख बचाये दिल से निकले जा रहे है.

सूरज की जमात मे पढ़ के आफताब हुए है हम भी,,खुद जल रहे है दुनिया के सामने मुस्करा रहे है.

जुबान नही थी कल इस दुनिया के मुंह में,,आज ज़रा सी बदनामी क्या हुई ये इश्तिहार लगा रहे हैं.

कभी मुल्क बंटा कभी दिल,नफरत बीज कर खादी वाले बादाम खा रहे है.

कल तक जो मुझे कह रहे थे कोई ग़ज़ल सुनाओ,,आज खुद मेरी आवाज दबा रहे है.

बड़ा मासूम सा लिबाज़ है मेरी शख्सियत का,,वो तो कब के छोड़ के चले गए हम आज भी इश्क़ निभा रहे हैं.

किनारा तो कब का टूट के आगया मेरे पास,,डूबने के डर से क्यों शहर वाले अब लहरों को मना रहे है.

अमन तो जलेगा एक दिन आसमान की गोद में,,नाजाने क्यों नासमझ मेरी चिता ज़मीं पे सज़ा रहे है। #Freedom_in_love #loveaajkal#nojotonews#rap#poetry#poem#art#music#video Satyaprem Upadhyay Internet Jockey Shanu Sharma kaur B 😊😊 varsha ✍️  kavya Kumari
आसमां हिल रहा है परिंदे घबरा रहे है,कुदरत खेल रही है क्या अजब खेल,आज कांटे मुस्करा रहे है.

शोर शायद ज्यादा है मेरी धड़कनों के बाज़ार में,,खरीदार बोली लगा रहे है,सनम चुपके से आँख बचाये दिल से निकले जा रहे है.

सूरज की जमात मे पढ़ के आफताब हुए है हम भी,,खुद जल रहे है दुनिया के सामने मुस्करा रहे है.

जुबान नही थी कल इस दुनिया के मुंह में,,आज ज़रा सी बदनामी क्या हुई ये इश्तिहार लगा रहे हैं.

कभी मुल्क बंटा कभी दिल,नफरत बीज कर खादी वाले बादाम खा रहे है.

कल तक जो मुझे कह रहे थे कोई ग़ज़ल सुनाओ,,आज खुद मेरी आवाज दबा रहे है.

बड़ा मासूम सा लिबाज़ है मेरी शख्सियत का,,वो तो कब के छोड़ के चले गए हम आज भी इश्क़ निभा रहे हैं.

किनारा तो कब का टूट के आगया मेरे पास,,डूबने के डर से क्यों शहर वाले अब लहरों को मना रहे है.

अमन तो जलेगा एक दिन आसमान की गोद में,,नाजाने क्यों नासमझ मेरी चिता ज़मीं पे सज़ा रहे है। #Freedom_in_love #loveaajkal#nojotonews#rap#poetry#poem#art#music#video Satyaprem Upadhyay Internet Jockey Shanu Sharma kaur B 😊😊 varsha ✍️  kavya Kumari