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मानव तुम भू का सिंगार हो मत नफ़रत के बीज उगाओ जल

मानव तुम भू का सिंगार हो 
मत नफ़रत के बीज उगाओ
 जलती धरती के आंचल पर 
करुणा के बादल बरसाओ 
फूलों का उपहास हुआ है 
सावन का संत्रास हुआ है 
हर अंधियारे पथ को जाकर 
दीपों की माला पहनाओ 
प्रमोद प्यासा प्यासा
मानव तुम भू का सिंगार हो 
मत नफ़रत के बीज उगाओ
 जलती धरती के आंचल पर 
करुणा के बादल बरसाओ 
फूलों का उपहास हुआ है 
सावन का संत्रास हुआ है 
हर अंधियारे पथ को जाकर 
दीपों की माला पहनाओ 
प्रमोद प्यासा प्यासा