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बेशक सूखे है ये गुलाब मगर बाकमाल महकते आज भी है औ

बेशक सूखे है ये गुलाब
मगर बाकमाल महकते आज भी है

और इनकी याद आ जाने पर 
हम बेशक बहकते आज भी है

मिलता आज भी जब वो त्योहार मुझ से
उसकी वैसी रौनक बरकरार आज भी है 

उन निगाहों में पाकीज़गी आज वही भी है
उस चहरे पर सूफियाना सादगी भी वही है
बबली भाटी बैसला

©Babli BhatiBaisla
  , सूखे गुलाब

, सूखे गुलाब #शायरी

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