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जब भी उदासियों ने मुझे घेरने की साज़िश की है मैंने

जब भी उदासियों ने मुझे घेरने की साज़िश की है
मैंने बचपन से ऊंगली पकड़ कर साथ रहने की गुज़ारिश की है

जब भी मुझ पर किसी ने उलहानों की बारिश की है
मेरे बचपन ने मुझसे उन्हें माफ़ करने की सिफारिश की है

बहुत थक जाती हूं सखी जब भी जिंदगी की जद्दोजहद से
मुझे मां पापा के साथ जैसी खुशी मिलती है बचपन की पनाहों में

यूं तो भटकता है तरसता है मन आज भी बहुत सखी
कहीं तो मिल जाए खेलकूद में गुजरते दिनों वाली बेफिक्री
बबली भाटी बैसला

©Babli BhatiBaisla
  गुज़ारिश

गुज़ारिश #शायरी

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