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कड़वा ज़रूर है मगर सच भी है... एक अदद सा सवाल जेहन


कड़वा ज़रूर है मगर सच भी है...
एक अदद सा सवाल जेहन में बार बार आता है...
क्या हर मर्द को ज़िस्म का भूखा माना जाता है...
क्या हर बार एक मर्द ही ज़िस्म की मांग करता है...
क्या हर मर्द ही औरत को बिस्तर तक लाता है...
कुछ तो इसमे औरत की भी रजामंदी होती होगी...
किसी हद तक वो भी तो इस राह तक चली होगी...
ये कैसा दोहरा मापदंड समाज पर हावी हुआ है...
औरत कहें तो संस्कारी मर्द बोले तो बलातकारी है...
जो भी होता है दोनों की रजामन्दी से ही होता है...
फिर क्यूँ मर्द ज़ालिम और औरत फ़कत बेचारी है... 
सच्चे इश्क को तो  हमने अक्सर तनहा ही पाया है...
और बेवफा की बाहों में रोज नया सनम पाया है.

©Andy Mann
  #जरा सोचिए
praveenmann1050

Andy Mann

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#जरा सोचिए #शायरी

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