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Mukesh Poonia
White मुश्किल नहीं है कुछ दुनिया में तू जरा हिम्मत तो कर ख्वाब बदलेंगे हकीकत में तू जरा कोशिश तो कर . ©Mukesh Poonia #safar #मुश्किल नहीं है कुछ #दुनिया में तू जरा #हिम्मत तो कर #ख्वाब बदलेंगे #हकीकत में तू #जरा #कोशिश तो कर
Andy Mann
अतीत की कड़वी सच्चाईयों से सीखने का प्रयास करें।जीवन से जो चला गया है उसका गम मनाने की बजाय,जो बचा हुआ है उसे सँभालने का प्रयास करें। कुछ नई योजनायें बनाकर, नई उम्मीदों के साथ फिर कर्म के रण में उतर जाएँ। जो खो गया है वह तो लौटकर नहीं आ सकता है। अपने नुकसान के लिए किसी को भी दोषी मानने की बजाय, औरउससे बदला लेने की बजाय अपनी ऊर्जा को पुनःअपने उद्देश्य में लगायें। अपने पुराने दुःख से, अतीत की बुरी स्मृति से जब तक आप मुक्त ना होंगे तब तक भविष्य का सुनहरा कल आपका आलिंगन कैसे करेगा ? वक्त सबको मिलता है जीवन बदलने के लिए मगर जीवन दुवारा नहीं मिलता, वक्त बदलने के लिए। ©Andy Mann #जरा सोचिए PФФJД ЦDΞSHI poonam atrey Ritu Tyagi VIPUL KUMAR Shilpa priya Dash Ambika Mallik the greatest gunjan Niaz (Harf) 0 heartlessrj1297 Sadhna Sarkar vineetapanchal KhaultiSyahi Sh@kila Niy@z Sethi Ji Geet Sangeet Reet Jack Sparrow Krishna G Sanjana
#जरा सोचिए PФФJД ЦDΞSHI poonam atrey Ritu Tyagi VIPUL KUMAR Shilpa priya Dash Ambika Mallik the greatest gunjan Niaz (Harf) 0 heartlessrj1297 Sadhna Sarkar vineetapanchal KhaultiSyahi Sh@kila Niy@z Sethi Ji Geet Sangeet Reet Jack Sparrow Krishna G Sanjana
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सभी धर्मों में महिलाएँ पुरुषों की तुलना में अधिक पूजा पाठ और व्रत उपवास करती हैं फिर भी वे पुरुषों से कहीं ज़्यादा दुख कष्ट क्यों झेलती हैं? ©Andy Mann #जरा सोचिएगा
#जरा सोचिएगा
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देवी #मंदिर में नहीं हमारे #समाज मे हैं औरत की दो टांगो की बीच से पैदा होकर वही इंसान...... उसी की छाती के दो स्तनों से अपनी भूख प्यास मिटाता हैं , बलात्कारी , रेपिस्ट भी वासना की भूख ... इन्ही दो टांगो के बीच ओर उन्ही दो स्तनों से अपनी भूख मिटाने की आशा रखता हैं यदि आप देखने का नजरिया बदल लें तो आप भूख मिटाने का खाना ना समझकर उसे मंदिर की तरह सम्मान , आदर भी कर सकते हैं हमे उसी माँ स्वरूप हर महिला बेटी , हो या बहन, जवान हो या बुजुर्ग, हो उसे मंदिर की तरह हमारे दिमाग मे डाले तो हम उस भगवान को बिना मंदिर जाए भी खुश रख सकते हैं । आजकल हर जगह टीवी मोबाइल इंटरनेट कहीं पर भी देखो या हमारे आसपास लोकल भाषा मे भी हमे यही प्रचार देखने को या सुनने को मिल रहा हैं की ओरत वासना की भूख मिटाने की होटल हैं हमे हमारी सोच को बदलना होगा और कंही पे भी औरत के खिलाफ हो रहे अश्लीलता के प्रचार को रोके ओर उन्हें समझाये ओर खुद भी समझे आये दिन हो रहे बलात्कार ,रेप को हमारे ही समाज के लोगो ने जन्म दिया हैं ( सोच बदलकर गांव/ शहर बदलने वाले कहा गए ? ) ©Andy Mann #जरा सोचिएगा
#जरा सोचिएगा
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*खुद पर भरोसा करने का हुनर सीख लो.* *सहारे कितने भी, भरोसेमंद हो, एक दिन साथ छोड़ ही जाते हैं ..!* *इज्जत और तारीफ* *मांगी नही जाती है* *कमाई जाती है* *नेत्र केवल दृष्टि प्रदान* *करते है* *परंतु हम कहाँ क्या देखते है* *यह हमारे मन की भावना* *पर निर्भर है* *शब्द जब तक आपके अंदर है ,* *वह आपके आधीन है और* *मुँह से बाहर आने के बाद आप* *उसके आधीन हो जाते हैं* ©Andy Mann #जरा सोचिए
#जरा सोचिए
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लोग जितना ख्याल सोशल मीडिया पर महिला मित्रों का रखते हैं, घर पर अपनी बीबी का रखें तो घर में शांति रहेगी.. ©Andy Mann #जरा सोचिए
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कड़वा ज़रूर है मगर सच भी है... एक अदद सा सवाल जेहन में बार बार आता है... क्या हर मर्द को ज़िस्म का भूखा माना जाता है... क्या हर बार एक मर्द ही ज़िस्म की मांग करता है... क्या हर मर्द ही औरत को बिस्तर तक लाता है... कुछ तो इसमे औरत की भी रजामंदी होती होगी... किसी हद तक वो भी तो इस राह तक चली होगी... ये कैसा दोहरा मापदंड समाज पर हावी हुआ है... औरत कहें तो संस्कारी मर्द बोले तो बलातकारी है... जो भी होता है दोनों की रजामन्दी से ही होता है... फिर क्यूँ मर्द ज़ालिम और औरत फ़कत बेचारी है... सच्चे इश्क को तो हमने अक्सर तनहा ही पाया है... और बेवफा की बाहों में रोज नया सनम पाया है. ©Andy Mann #जरा सोचिए
#जरा सोचिए
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किसी से नफ़रत करते हैं परन्तु मुस्कुराकर गले मिलते हैं यह व्यवहारिकता है। आज हम जिस दौर से गुज़र रहे हैं यहाँ अगर हमें कोई भी रिश्ता ठीक से निभाना है तो व्यवहार कुशल होना आवश्यक है। आध्यात्मिक दृष्टिकोण से यह मनसा और वाचा अलग अलग होना है। जो दोगलापन हैं। यह दोगलापन या व्यवहारिकता हमारे शिष्टाचार की अभिन्न अंग है। धर्म हमें मनसा,वाचा और कर्मणा एक होने की राय देता है और हम कहाँ खड़े हैं? ©Andy Mann #जरा सोचिए
#जरा सोचिए
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पत्थर में भगवान है यहसमझाने में धर्म सफल रहा लेकिन इंसान में इंसान है यहसमझाने में धर्म आजभी असफल है" ©Andy Mann #जरा सोचिए
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