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तुम्हारे ख्वाबों में खोया रहता हूं हरदम, अब न मुझे

तुम्हारे ख्वाबों में खोया रहता हूं हरदम,
अब न मुझे कुछ याद रहता है।
दिन है या रात है या फिर कौनसा वक्त,
या फिर कोई क्या मुझसे कहता हैं
तेरे कदमों की आहट सुनकर
मैं खुद को बुला लेता हूं,,
नींद तो नहीं आती मगर,
तुझसे ख्वाबों में मिलने की आस में
मैं खुद को सुला लेता हूं।।

©Mukesh Raj Gautam  लेखक और शायर
  #ख़्वाब