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पिता जब जब हुआ सामना ,ज़

                      पिता 

जब  जब  हुआ  सामना ,ज़माने की जद्दोजहद से,
पिता ने पकड़ लिया हाथ, निकाला दर्द की सरहद से,

सरल ,सहज ,सुनियोजित  किया,सारा जीवन हमारा,
कोटि  कोटि  करबद्ध अभिवंदन ,उन्हें नमन है हमारा,

कर्त्तव्य परायणता का , क़दम क़दम पर भान कराया,
जब जब जकड़ा लोभ के जंजालों ने,हमें आईना दिखाया,

हमें लेकर सरपरस्ती में,साया बनकर साथ साथ चलते रहे,
सेवा ,समर्पण ,सहयोग ,सदाचार के गुण,हमारे हिय मे पलते रहे,

कर्मपथ  पर  कर  थाम  हमारा , कर्म का ककहरा सिखाया,
क्रोध ,कुत्सा ,कपट , कुभाव ,  हर   बुरी  नज़र से बचाया ,

पिता  बने  पथप्रदर्शक , पिता में ही सारा जीवन निहित है,
पिता के पदचिन्हों पर चलकर ,पूरा जीवन पाप से रहित है।।

-पूनम आत्रेय

©poonam atrey
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