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भारत का अन्नदाता हूँ विश्व का अन्नदाता बनने को तैय

भारत का अन्नदाता हूँ
विश्व का अन्नदाता बनने को तैयार हूँ
हाँ, मैं किसान हूँ

कडकती धुप अपने हिस्से में पाकर
तुम्हें शीतल छाया देने को तैयार हूँ
हाँ मैं किसान हूँ

चिलचिलाती धुप, कडकती बरसात, सिंकुडा देती ठंड
करती फसलों को बर्बाद हैं
फिर भी अलग-अलग मौसम में
उपजाता अलग-अलग फसल हूँ
प्रकृति के हाथों लाचार हू
हाँ, मैं किसान हूँ
बारिश के बुंदों के साथ
करता खेतों का श्रृंगार हूँ
हाँ, मैं किसान हूँ

भारत का अन्नदाता हूँ... 


मेरे भाग्य का मुझे पता नहीं
फिर भी 
मैं भारत का भाग्य विधाता हूँ
मैं भारत का अन्नदाता
विश्व का अन्नदाता बनने को तैयार हूँ
हाँ मैं किसान हूँ

©कलम की दुनिया
  #किसान