दिन की रुस्वायी में, शाम की तन्हाई में याद आते हो तुम गुजरती रातों में, सुबह के ख्वाबों में बसंत की बहार हो, सावन की फुहार हो याद आते हो तुम क्या करे कैसे करे, जब करूं मन न करे विचलित तन दिल न लगे, क्षण भर युग लगने लगे याद आते हो तुम.......❤️ ♥️ Challenge-584 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।