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शून्य अब बहुत सारे बंधनों से मुक्त होना चाहती हूँ

शून्य
अब बहुत सारे बंधनों से मुक्त होना चाहती हूँ
 दायित्व भी निभाना चाहती हूं
अपने उद्देश्य को एक आकर देना चाहती हूँ
इन्द्रधनुष के सब रंगों को जीना चाहती हूं
फूलों की तरह खिलना चाहती हूँ
बादलों की तरह बरसना चाहती हूं
पक्षियों की तरह उड़ना चाहती हूं
खुद की एक पहचान चाहती हूं
शून्य होना चाहती हूँ
Rakhi om

©Rakhi  Gupta
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