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वो गीत जो मैंने तुम्हारे लिए लिखे वो गीत जो मैंने

वो गीत जो मैंने तुम्हारे लिए लिखे
वो गीत जो मैंने तुम्हारे साथ सुने
जब भी तन्हा होता हूं उन्हें गुनगुना लेता हूं
इसी बहाने मैं तुम्हे थोड़ा याद कर लिया करता हूं
जब भी कभी बादल बरसते हैं
और बारिश  की बूंदे मुझे छूती हैं तब 
मैं तुम्हे महसूस करके उन बूंदों को 
अपनी मुठ्ठी में भर लेता हूं
मुझे ये सावन खूब भाने लगा है
जानते हों क्यूं 
क्यूंकि इस मौसम में तुम याद तो आते हो
सच कहूं तो अब तुम्हे याद करने का वक्त नहीं होता
इसलिए मैं डरता हूं के कहीं तुम्हारी यादें खो न जाए
और कभी याद करने भी बैठू तो
तुम्हारा चेहरा भी धुंधला सा नजर आता है
तुम्हारी आवाज तो अब मेरे कानों में गूंजती भी नहीं
और मुझे इस बात का भी गम  है
के मैं तुम्हें भुलने लगा हूं
कई बरस बीते तुमसे कोई गुफ्तगू किए
एक अरसा हुआ तुम्हारा दीदार ना हुआ
लेकिन मुझे फिर भी तुमसे इश्क रहा
और हर वक्त दुआ के तुम्हें भूल ना जायूं
कहो अब इससे ज्यादा तुमसे क्या कहूं
मैंने तुम्हारे बिना भी तुमसे इश्क किया
और शायद मैं तुम्हें याद नही 
पर तुम मेरी रूह का सुकून बन हमेशा रहे
और अब मैं कहता हु के तुम नहीं तो क्या
तुम ही मैं मैं ही तुम हूं

©Ravina Joshi
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