#delhiearthquake
शामें सारी बिगड़ी हुई
होती हैं रंगीन मयखानों में
तुमसे हो पाएगा तो
हमारी शामें बदल दो
बेचैन मन की ख्वाहिशें
पत्थर को मूरत में देखने की
हैं नजरों की ख्वाहिशें
एक सूरत को देखने की
कहीं जुड़ न जाएं टूटी हुईं
चूड़ियां फिर से
ऐसी ख्वाहिशें बदल दो
कानों की चाहत
गूंगे की जुबां
और जुबां सुनाना चाहती हैं
कहानी बहरे शख्स को
अगर हैं तुम्हारे बस में
तो ये चाहते बदल दो
मिट्टी के घड़े में
अकेले कंकड़ हम
पानी की दुनियां में
बेवजह फंस गए
एहसान कर सकते हो कोई
तो हमारी दुनिया बदल दो #शायरी