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White #छंदमुक्त कविता #दिनांक:-25/8/2024 #शीर्षक:-

White #छंदमुक्त कविता
#दिनांक:-25/8/2024
#शीर्षक:- सबके संग रम जाते कृष्ण। 

अँखियन मिचत रोवत आवे कृष्ण, 
नटखट कान्हा खूब ही भावे कृष्ण ।
माँ पुकार से जियरा हरसाये कृष्ण,
घुटुरन बकैया-बकैया मनभावे कृष्ण ।। 

माटी मुँह, रज चंदन देह में लपेटे कृष्ण,
क्रीड़ा करत मित्र ब्रज वीर समेटे कृष्ण ।
मुग्ध गोपियन, मुग्ध मैया, बाबा है कृष्ण,
पशु-पक्षी मुग्ध हो हरि से लिपटे कृष्ण ।। 

मामा कंस को बहुत खिझाते कृष्ण,
राधा गोपियों को बहुत रिझाते कृष्ण ।
कालीनाग को सबक सिखाते कृष्ण,
नटखट है, भोले कुमार दिखाते कृष्ण ।। 

लक्ष्मी स्वामी नाना भेष बनाते कृष्ण,
पशु पक्षी सबके संग रम जाते कृष्ण ।
गोपाल स्वरुप मन को लुभाते कृष्ण,
विपदा में सर्वप्रथम याद आते है कृष्ण ।। 

धन्य यमुना किनारे रास रचाते कृष्ण, 
गोप, गोपिका को प्रेम में फँसाते कृष्ण ।
बावरी राधा के विश्वास को भाते कृष्ण,
गेह-गेह चोरी कर मक्खन है खाते कृष्ण ।। 

गोकुल गलियों में चरण की थाप कृष्ण,
जन-जन में प्रेम सौहार्द के छाप कृष्ण ।
ब्रह्मांड के देवि देवता करते पान कृष्ण,
प्रतिभा पुकारे आठो याम कृष्ण-कृष्ण ।। 

(स्वरचित)
प्रतिभा पाण्डेय "प्रति"
चेन्नई

©Pratibha Pandey
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