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दीप जलने लगे, दीवाली फिर से आई है | रंग चोखे खुशी

दीप जलने लगे, दीवाली फिर से आई है |
रंग चोखे खुशी के, देखो फिर से लाई है ||

फलक में शोर है, आतिशी बरसांतों का |
घर के आगन में, रंगोली मुस्कुराई है ||

बुराई छुप गई, दीवारों की संदों में कहीं |
घर की चोखट पे , अच्छाई सज सबर के आई है ||

ये आज क्या हुआ, कि रो पड़ी वतन की सरहद |
अपने बेटे की, किसी माँ को याद आई है ||

इशारा करते हुए, वक्त कह रहा है अर्श |
दीवाली आने वाले साल की अगवाई है ||

ढोल बजने लगे, सजने लगे मंडप फिर से |
दीवाली संग ही, शादी की सहनाई है ||

लेखक :- मनीष श्रीवास्तव (अर्श) 
गैरतगंज 
मो.9009247220

©Manish  Shrivastava दीप जलने लगे दीवाली फिर से आई है
दीप जलने लगे, दीवाली फिर से आई है |
रंग चोखे खुशी के, देखो फिर से लाई है ||

फलक में शोर है, आतिशी बरसांतों का |
घर के आगन में, रंगोली मुस्कुराई है ||

बुराई छुप गई, दीवारों की संदों में कहीं |
घर की चोखट पे , अच्छाई सज सबर के आई है ||

ये आज क्या हुआ, कि रो पड़ी वतन की सरहद |
अपने बेटे की, किसी माँ को याद आई है ||

इशारा करते हुए, वक्त कह रहा है अर्श |
दीवाली आने वाले साल की अगवाई है ||

ढोल बजने लगे, सजने लगे मंडप फिर से |
दीवाली संग ही, शादी की सहनाई है ||

लेखक :- मनीष श्रीवास्तव (अर्श) 
गैरतगंज 
मो.9009247220

©Manish  Shrivastava दीप जलने लगे दीवाली फिर से आई है

दीप जलने लगे दीवाली फिर से आई है #शायरी