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होश में रहके कभी बे-ख़ुदी नहीं होती सबसे ज़माने में

होश में रहके कभी बे-ख़ुदी नहीं होती
सबसे ज़माने में आशिक़ी नहीं होती

उसने माथे से पसीना पोछकर कहा
मुझसे अब ये आवारगी नहीं होती

©Ghumnam Gautam
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