प्यार तो माँ ही किया करती है । और औलाद दग़ा करती है ।।१ ज़िन्दगी दर्द दिया करती है । और ये मौत वफ़ा करती है ।।२ बात वो भी न समझ पाये हम । ज़िंदगी जो रोज कहा करती है ।।३ दर्द अपनो का छुपाकर दिल में । ज़िन्दगी खाक हुआ करती है ।।४ जख्म़ जो आप दिया करते थे अब उन्हें वक्त सिला करती है ।।५ गैर जबसे यार दिखे अपने यह । जख्म़ ही मरहम बना करती है ।।६ नूर उसमें ही कुछ है ज्यादा । चाँद जो देख छिपा करती है ।।७ नींद आती नहीं लोरी सुनकर । ख्वाब जो उनके दिया करती है ।।८ मैं बड़ी बात प्रखर क्या बोलूँ । लौटकर कुछ न मिला करती है ।।९ ९/०१/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR प्यार तो माँ ही किया करती है । और औलाद दग़ा करती है ।।१ ज़िन्दगी दर्द दिया करती है । और ये मौत वफ़ा करती है ।।२