अब की बार मोहब्बत करो , तो खबर रखियेगा कहीं दौहरा ना जाए , अजीयत-ए-तारीख नजर रखियेगा इस बार दिल अगर टूटा , तो सम्भलेगा नहीं जब तक जुबां पर ना आए , उसके दिल की बात सबर रखियेगा किसी के आने जाने से कमी ज्यादती होती नहीं कभी दुनिया-ए-परिस्ता बहुत मिलेंगे , कदमों के नीचे सफर रखियेगा टूटे हुए कैस् का यकी करता नहीं कोई जब किस्सा कहो तो , बातों में असर रखियेगा बुरी नजर से देखते हैं आशिकों को जहां वाले किसी की जुबां ना खुले , गवाह साथ रखियेगा गाहे-बगाहे ही मोहब्बत मुकम्मल होती है किसी की गर हो भी जाये , पैरों में जमी , सर पर आसमान रखियेगा मोहब्बत दोजख है जवानी के लिए बडी आस से शहर भेजा है मां ने , ध्यान रखियेगा दोजख - नर्क गाहे-बगाहे - कभी-कभी कैस् - आशिक दुनिया-ऐ- परिस्ता - परियों का संसार अजीयत-ए-तारीख - हादसों का इतिहास अब की बार मोहब्बत करो , तो खबर रखियेगा कहीं दौहरा ना जाए , अजीयत-ए-तारीख नजर रखियेगा इस बार दिल अगर टूटा , तो सम्भलेगा नहीं जब तक जुबां पर ना आए , उसके दिल की बात सबर रखियेगा किसी के आने जाने से