मन के हाथ में दे दे तू उम्मीद की डोर, बिखरे सपनों को एक आशा की किरण मिल जाए। पलट अतीत के पन्ने अपनी क़िताब के तू, किस्से जीती जंगो के आज फिर से पढ़े जाए। उतर जा खुद के भीतर के गहरे समुंदर में, वहीं से डुबती नाव को कोई खिवैया मिल जाए। थाम मुस्कान का ब्रश हाथ में, और निकल, कैनवास पर जिंदगी के फिर कुछ रंग नए भर जाए। तेरी न सही तुझसे मिलकर ही सही, किसी की तो खुशियों की तलाश ख़त्म हो जाए। #iAmShubh ♥️ Challenge-544 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।