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Anita Saini

वो बरगद जमती थी यारों की महफ़िल! जेठ की दुपहरी में, सुलझा लेते थे वो झगड़े जो दायर होते थे अपनी कचहरी में। वो ताश के पत्ते

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आज भी याद है "वो बरगद"
जमती थी यारों की
महफ़िल!
जेठ की दुपहरी में,
सुलझा लेते थे वो झगड़े
जो दायर होते थे
अपनी कचहरी में।
वो ताश के पत्ते
वो उर्दू,
मजलिस पर
आपकी फ़रमाइश
पर बजते फिल्मी गीत!
भुलाए नहीं भूलते
बरगद पर चढ़ना नँगें पाँव !
Ac को मात देती,
उसकी शीतल छाँव।
साथ में तालाब किनारा
एक और पसंदीदा हमारा।
गुम हो गई हैं जो
अतीत के गर्त में
तलाश है उन खुशियों की! वो बरगद 
जमती थी यारों की
महफ़िल!
जेठ की दुपहरी में,
सुलझा लेते थे वो झगड़े
जो दायर होते थे
अपनी कचहरी में।
वो ताश के पत्ते

Rashmi Hule

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करते करते गम बटोर लिये.. 
ना जाने कितनी बार मरे
और कितना जी लिये... 
 ♥️ Challenge-544 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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अभिलाष सोनी

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खुशियों की तलाश करते करते, गमों से नाता जोड़ लिया।
उम्मीद थी सुकूँ के पलों की, अपनों ने ही मुँह मोड़ लिया।

कुछ खट्टी, कुछ मीठी, यादों के सहारे जीते रहे अब तक।
गमों का साया जब पड़ा, हर सुख ने रास्ते में ही छोड़ दिया।

न तेरा न मेरा दोष था, हालात ही कुछ यूँ बनते गए।
मेरी तकलीफों की वजह से, सबने मुझसे रिश्ता तोड़ दिया।

क्या गिला मैं करूँ किसी से, जब किस्मत ही अपनी रूठी है।
खुद अपने ही हाथों हमनें, अपनी खुशियों का गला मरोड़ दिया।

अब न मुमकिन जीवन में, कि दोबारा हम कुछ खुशी देख पाएं।
थक कर हर मान लिया और किस्मत पे ही सब छोड़ दिया। ♥️ Challenge-544 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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DR. SANJU TRIPATHI

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भटकते रहे हम दरबदर खुशियों की तलाश में,
खुशियों की तलाश ने हमें आवारा बना दिया,
चाहत थी मेरी ताउम्र अपनों का साथ बना रहे,
खुशियों की तलाश ने हमें सबसे दूर कर दिया।

दुनियाँ में खुशियों को तलाश करते करते हमने 
खुद से ही खुद को खोने का सौदा कर लिया,
चाहत थी अपनों को गमों के बदले खुशियांँ दूँ,
खुशियों की तलाश ने मेरा सुकून छीन लिया।

जमाने में अपनों के सिवा किसी के जज्बातों की,
किसी को कोई समझ और कदर ही नहीं होती,
समझ में हमें तब आया जब खुशियों की तलाश में
हमने सारे के सारे ही अपने रिश्तों को खो दिया। ♥️ Challenge-544 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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Writer1

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कर किसी मुफलिस की मदद,
होगी तुझ पर खुदा की इनायत,

खुशियों की तलाश में भटक ना प्राणी,
खुदा को पाने के लिए न कर मशक़्क़त,

इम्कान हो गर तो बना खुदा को राज़-दार,
तिलावत में रियाजत होगी पर मिलेगी सुखावत।
 ♥️ Challenge-544 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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Shayar Mukesh Kr Tiwari.

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खुशियों की तलाश में जाने कहां कहां भटके
फ़िर भी मन उदासियो  के घेरे में क्यों विचरे!

मेरी दहलीज तक आकर खुशियों  का  झोंका
फ़िर क्यों मुझसे ही मुंह मोड़े, बताओ फिर कहां ढूंढें!

तलाश करते आए हम दूसरों में अक्सर ख़ुशी अपनी
मन ही ना प्रसन्न हो तो फिर कोई भला क्या करे!

ग़म का तुफां आया यूं बेबस कर गया एक पल में
बची खुची  खुशियां  भी उड़ गए  उसी  तुफां में!

ग़म भी सहे रोए भी बहुत मगर फिर भी ”मुकेश”
तुम थे कि खुशियों की तलाश में फ़िर निकल पड़े! ♥️ Challenge-544 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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