ज़मीं से फलक तक कि उड़ान भर ले कौन रोकता है वापस मिलना है इसी ज़मीं में थोड़े पैर जमी पर भी रख ज़मीं क्यों छोड़ता है #ज़मी #ज़िन्दगी