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खड़ा हूँ मैं कब से,राहों में उसकी। उजाला किया है,यह

खड़ा हूँ मैं कब से,राहों में उसकी।
उजाला किया है,यह जरूरत है उसकी।।
अंधेरों से उसको डर लगता है ।
कसम से अजीब फितरत है उसकी।।

©Shubham Bhardwaj
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