मुक्ति की अभिलाषा - एक आत्मसंवाद Full poetry in caption आत्मसंवाद मृग भटके वन वन पर कस्तूरी ना पाए , एक सुगंध की चाह में , चन्हुओर दौड़ लगाए । १ हर आकांक्षा पूर्ति की अभिलाषा , पर क्या है सुख की परिभाषा ।२ अकूत धन या चिर यौवन , गृहस्थ जीवन या वन उपवन ।३