चाँदनी रात की बुकिंग थी, महीनों से जिसकी सेटिंग थी, 'अले बाबू थाना था लो', के नाम पर जो एक चीटिंग थी। फलाना-ढिकाना बेचते, ख़याली-पुलाव काहे बेच खाये? जोक बोल-बोल, नींद-उड़ाऊ जोंक की वहाँ फिटिंग थी। बाबू भी तलेगा अब तो स्ट्राइक, थोलकर बोतल स्प्राइट, हल्दी वाले दूध की लेकिन आजकल फ़िक्स सिटिंग थी। डिजिटल भंडारे से ही ख़्वाहिशों को टरकाये जा रहे थे, ख़्वाबों-ख़यालों में पकवानों की अब हो रही मीटिंग थी। इंतज़ार में पड़े-पड़े इन मौसमों की बन गई थी खिचड़ी, वादा-कतरनों की दूर-दराज़ से ही चल रही निटिंग थी। Rest Zone 'रस प्रयोग' #restzone #rztask112 #rzलेखकसमूह #sangeetapatidar #ehsaasdilsedilkibaat #rzwotm #rzsangeetadhun