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रोज-रोज नहीं खोली जाती जज्बातों की तिजोरी हमसे जज़

रोज-रोज नहीं खोली जाती
जज्बातों की तिजोरी हमसे

जज़्बात भी अब कहते हैं
दफ़न रहने दो दिल में हमें

क्यों पत्थरों में खुदा ढूंढती हो
पत्थरों को पत्थरों में रहने दो

आंसुओं के लिए आँचल कम हो तो
गिरा दो जमीं पर थोड़ी नमी होने दो !!

©Anjali Nigam
  #जज्बातों की ज़ुबानी
anjalinigam4281

Anjali Nigam

Bronze Star
New Creator

#जज्बातों की ज़ुबानी

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