रोज-रोज नहीं खोली जाती जज्बातों की तिजोरी हमसे जज़

रोज-रोज नहीं खोली जाती
जज्बातों की तिजोरी हमसे

जज़्बात भी अब कहते हैं
दफ़न रहने दो दिल में हमें

क्यों पत्थरों में खुदा ढूंढती हो
पत्थरों को पत्थरों में रहने दो

आंसुओं के लिए आँचल कम हो तो
गिरा दो जमीं पर थोड़ी नमी होने दो !!

©Anjali Nigam
  #जज्बातों की ज़ुबानी
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anjalinigam4281

Anjali Nigam

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#जज्बातों की ज़ुबानी

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मेरे तैयार होते ही कॉल आया
(आदि)का फोन आया
मैं तुम्हारे घर के बाहर खड़ा हूं 
(सुहानी) ने बोला तुम क्यों मेरे घर आए हो
(आदि) ने जवाब दिया मैं तुमको पसंद करता हूं
(सुहानी) ने बोला अच्छी बात है 
पर घर में सभी लोग हैं
 plz तुम चले जाओ 
(आदि) तुम मेरी बात सुनो (सुहानी)
क्या सुनना है
मेरे घर वाले हम दोनों की दोस्ती को 
कोई नहीं समझे गा
तुम चले जाओ (आदि) नहीं 
मुझे तुम्हारे घर वालो से मिलना 
(सुहानी) अभी समय नहीं है
(आदि) इसके आगे की store के लिए फॉलो me

©Roshni keshari आदि और सुहानी की कहानी मेरी ज़ुबानी
मेरे तैयार होते ही कॉल आया
(आदि)का फोन आया
मैं तुम्हारे घर के बाहर खड़ा हूं 
(सुहानी) ने बोला तुम क्यों मेरे घर आए हो
(आदि) ने जवाब दिया मैं तुमको पसंद करता हूं
(सुहानी) ने बोला अच्छी बात है 
पर घर में सभी लोग हैं
 plz तुम चले जाओ 
(आदि) तुम मेरी बात सुनो (सुहानी)
क्या सुनना है
मेरे घर वाले हम दोनों की दोस्ती को 
कोई नहीं समझे गा
तुम चले जाओ (आदि) नहीं 
मुझे तुम्हारे घर वालो से मिलना 
(सुहानी) अभी समय नहीं है
(आदि) इसके आगे की store के लिए फॉलो me

©Roshni keshari आदि और सुहानी की कहानी मेरी ज़ुबानी
पुरानी कहानी मेरी जुबानी
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पुरानी कहानी मेरी जुबानी #nojotovideo

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जज्बातों की होली
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जज्बातों की होली #विचार

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काश होती ऐसी कोई जगह ,
जेहन में कही,
कलेजे को निकाल रख देते जैसे,
तिजौरी में कोई गहना।
तो बार बार  टूटने से पहले ही,
महफूज कर लिया जाता।

कविता जयेश पनोत

©Kavita jayesh Panot #जज्बातों की बाते
काश होती ऐसी कोई जगह ,
जेहन में कही,
कलेजे को निकाल रख देते जैसे,
तिजौरी में कोई गहना।
तो बार बार  टूटने से पहले ही,
महफूज कर लिया जाता।

कविता जयेश पनोत

©Kavita jayesh Panot #जज्बातों की बाते
पथरो  की  बस्ती  मे  सब  तरफ  पथरो  की  
आदमशुमारी   थी  जहाँ.... भला  फिर मै  कैसे 
बच पाता   पथर  बनने से 
छैनी  हथोड़ी से  तराशने  वाले  कलाकारों ने 
मुझे  ढूंड  ही  लिया किसी  तरह. और  फिर   एकदिन 
मुझे  तराश  कर   मंदिर  मे . मेरी  प्रतिमा  को 
प्रतिष्ठित   कर  दिया   जहाँ  अब  प्रतिदिन  
साँझ  सवेरे  मेरी पूजा  होती  हैँ .  मेरा  शृंगार  किया जाता हैँ  पुष्पमालाओ  से.. फिर  नारियल  चढ़ाकर  अगरबत्ती 
जलाकर  उसके . असहय   धुए को मेरी  नासापुटों मे 
पहुंचाकर   मुझे  प्रदूषित  किया जाता हैँ 
पता  नहीं  ये  पथरीले  लोग. इस  पथर  के  तथाकथित  देवता को  न जाने  कब तक यूही  भरमाते  रहेंगे देवता  की  कहानी  देवता  की  ज़ुबानी..........
पथरो  की  बस्ती  मे  सब  तरफ  पथरो  की  
आदमशुमारी   थी  जहाँ.... भला  फिर मै  कैसे 
बच पाता   पथर  बनने से 
छैनी  हथोड़ी से  तराशने  वाले  कलाकारों ने 
मुझे  ढूंड  ही  लिया किसी  तरह. और  फिर   एकदिन 
मुझे  तराश  कर   मंदिर  मे . मेरी  प्रतिमा  को 
प्रतिष्ठित   कर  दिया   जहाँ  अब  प्रतिदिन  
साँझ  सवेरे  मेरी पूजा  होती  हैँ .  मेरा  शृंगार  किया जाता हैँ  पुष्पमालाओ  से.. फिर  नारियल  चढ़ाकर  अगरबत्ती 
जलाकर  उसके . असहय   धुए को मेरी  नासापुटों मे 
पहुंचाकर   मुझे  प्रदूषित  किया जाता हैँ 
पता  नहीं  ये  पथरीले  लोग. इस  पथर  के  तथाकथित  देवता को  न जाने  कब तक यूही  भरमाते  रहेंगे देवता  की  कहानी  देवता  की  ज़ुबानी..........