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तितली सा मन फिरता है दर बदर सुकुन कहीं मिलता नहीं,

तितली सा मन फिरता है दर बदर
सुकुन कहीं मिलता नहीं,न इधर न उधर

न जाने इसे किसकी तलाश है
बेचैन होकर उड़ता फिरता है न‌ जाने किधर

ख्वाहिशों के आसमां में इचछाओं के अनगिनत सितारे है
आसमां में ये उड़ता रहता कभी इधर कभी उधर।

©Amit Sir KUMAR
  #titliyan तितली सा मन फिरता है दर बदर....

#titliyan तितली सा मन फिरता है दर बदर.... #शायरी

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