ग़ज़ल :-
रखेगा याद हर कोई शहादत का महीना है ।
अदब से पेश आ इंसा इबादत का महीना है ।।१
नसीहत दे गये हमको वतन पे देख लो मिटकर ।
चलूँ अब चाल मैं उनकी की चाहत का महीना है ।।२
चुनावी हो रहे दंगल गली घर में लगे पर्चे ।
करो मतदान तुम बस अब सियासत का महीना है ।।३
लड़ेगी आँख तेरी भी किसी दिन तो हसीनों से । #शायरी