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Village Life ग़ज़ल :- रखेगा याद हर कोई शहादत का महीन

Village Life ग़ज़ल :-
रखेगा याद हर कोई शहादत का महीना है ।
अदब से पेश आ इंसा इबादत का महीना है ।।१
नसीहत दे गये हमको वतन पे देख लो मिटकर ।
चलूँ अब चाल मैं उनकी की चाहत का महीना है ।।२
चुनावी हो रहे दंगल गली घर में लगे पर्चे ।
करो मतदान तुम बस अब सियासत का महीना है ।।३
लड़ेगी आँख तेरी भी किसी दिन तो हसीनों से ।
जिगर तू थाम लेना बस मुहब्बत का महीना है ।।४
अभी आयी जवानी है सँभलकर तुम जरा चलना ।
कदम बलखा न जाये अब नज़ाकत का महीना है ।।५
खिले जो फूल गुलशन में उन्हें कच्ची कली मानों
भँवर को भी बता दो अब हिफ़ाज़त का महीना है ।।६
प्रखर से सीख लो कुछ इल्म झूठी इन रिवायतों के ।
बता देगा तुम्हें वो भी तिज़ारत का महीना है ।।७
२८/०३/२०२४     -     महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-
रखेगा याद हर कोई शहादत का महीना है ।
अदब से पेश आ इंसा इबादत का महीना है ।।१
नसीहत दे गये हमको वतन पे देख लो मिटकर ।
चलूँ अब चाल मैं उनकी की चाहत का महीना है ।।२
चुनावी हो रहे दंगल गली घर में लगे पर्चे ।
करो मतदान तुम बस अब सियासत का महीना है ।।३
लड़ेगी आँख तेरी भी किसी दिन तो हसीनों से ।
Village Life ग़ज़ल :-
रखेगा याद हर कोई शहादत का महीना है ।
अदब से पेश आ इंसा इबादत का महीना है ।।१
नसीहत दे गये हमको वतन पे देख लो मिटकर ।
चलूँ अब चाल मैं उनकी की चाहत का महीना है ।।२
चुनावी हो रहे दंगल गली घर में लगे पर्चे ।
करो मतदान तुम बस अब सियासत का महीना है ।।३
लड़ेगी आँख तेरी भी किसी दिन तो हसीनों से ।
जिगर तू थाम लेना बस मुहब्बत का महीना है ।।४
अभी आयी जवानी है सँभलकर तुम जरा चलना ।
कदम बलखा न जाये अब नज़ाकत का महीना है ।।५
खिले जो फूल गुलशन में उन्हें कच्ची कली मानों
भँवर को भी बता दो अब हिफ़ाज़त का महीना है ।।६
प्रखर से सीख लो कुछ इल्म झूठी इन रिवायतों के ।
बता देगा तुम्हें वो भी तिज़ारत का महीना है ।।७
२८/०३/२०२४     -     महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-
रखेगा याद हर कोई शहादत का महीना है ।
अदब से पेश आ इंसा इबादत का महीना है ।।१
नसीहत दे गये हमको वतन पे देख लो मिटकर ।
चलूँ अब चाल मैं उनकी की चाहत का महीना है ।।२
चुनावी हो रहे दंगल गली घर में लगे पर्चे ।
करो मतदान तुम बस अब सियासत का महीना है ।।३
लड़ेगी आँख तेरी भी किसी दिन तो हसीनों से ।

ग़ज़ल :- रखेगा याद हर कोई शहादत का महीना है । अदब से पेश आ इंसा इबादत का महीना है ।।१ नसीहत दे गये हमको वतन पे देख लो मिटकर । चलूँ अब चाल मैं उनकी की चाहत का महीना है ।।२ चुनावी हो रहे दंगल गली घर में लगे पर्चे । करो मतदान तुम बस अब सियासत का महीना है ।।३ लड़ेगी आँख तेरी भी किसी दिन तो हसीनों से । #शायरी