2122 1122 1122 22/112 जाने मुझको ये हुआ क्या नहीं याद आता अब चेहरा भी मुझे तेरा नहीं याद आता अब अपने घर का पता मैं भूला हूँ अब फिर से अपना है कौन पराया नहीं याद आता अब थे दिवाने मेरी ग़ज़लों के तो पहले बहुत इल्म ग़ज़लों का भी कहना नहीं याद आता अब शम्स भी हो गया था मेरा दिवाना इक दिन कौन सा था वो सवेरा नहीं याद आता अब वस्ल मंज़िल से हुई मेरी जाने कैसे रास्ता मुझको "सफ़र" का नहीं याद आता अब #सफ़र_ए_प्रेरित #yqbaba #yqdidi #shayari #gazal #love #philosophy ashish malik