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हृदय तब्दील हो गया है अंधेरी गुफा में मन बसेरा ह

हृदय
तब्दील हो गया है  अंधेरी गुफा में

मन
बसेरा हो गया है कलुष के  दैत्याकार डायनासोरों का

आँखें
हो गयी हैं निर्जल रेगिस्तान की तरह

मुक्त करो हर तमस से
अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो
 माँ

©Rabindra Prasad Sinha
  #अनपढ़प्रेम