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याद आता है आज भी वो दौर जब दीवाने बने घूमा करते थे

याद आता है आज भी वो दौर
जब दीवाने बने घूमा करते थे
ज़मीन में पांव नहीं टिकते
बस आसमान चूमते फिरते थे
गुजरते थे जिस भी गली से
अपनी हरकतों से बैचेन किया करते थे
बस एक निगाह ही तो दिखानी थी
दिलों का शिकार नजरों से किया करते थे

©Brijendra Singh
  दौर

दौर #शायरी

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