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इल्ज़ाम बहुत झेले हैं,समाज में आ कर, और नहीं सहना

इल्ज़ाम बहुत झेले हैं,समाज में आ कर,
और नहीं सहना है, देखा है आज़मा कर,
यही पैगाम पहुँचाना है, घर घर जा कर,
ज़िन्दगी को बेहतर बनाना है, ठान कर।

समय की मांग को सुनो, मन लगा कर,
सच्चाइयों को देखो, गम्भीर ही हो कर,
अब नहीं रहना है, दिल को बहला कर,
बस अब कदम रखना है,धरती हिला कर।

चप्पा चप्पा पुकार सुनें, दिल दहला कर,
जगह जगह हुँकार हो, यों पुकार सुन कर,
नहीं समय उठो अब यों फुफकार सुन कर,
गंवाना नही इक पल भी, गुंजार सुन कर।

इल्ज़ाम बहुत झेले हैं,समाज में आ कर,
और नहीं सहना है, देखा है आज़मा कर,
यही पैगाम पहुँचाना है, घर घर जा कर,
ज़िन्दगी को बेहतर बनाना है, ठान कर। 
इल्ज़ाम बहुत झेले हैं,समाज में आ कर,
और नहीं सहना है, देखा है आज़मा कर,
यही पैगाम पहुँचाना है, घर घर जा कर,
ज़िन्दगी को बेहतर बनाना है, ठान कर।

समय की मांग को सुनो, मन लगा कर,
सच्चाइयों को देखो, गम्भीर ही हो कर,
इल्ज़ाम बहुत झेले हैं,समाज में आ कर,
और नहीं सहना है, देखा है आज़मा कर,
यही पैगाम पहुँचाना है, घर घर जा कर,
ज़िन्दगी को बेहतर बनाना है, ठान कर।

समय की मांग को सुनो, मन लगा कर,
सच्चाइयों को देखो, गम्भीर ही हो कर,
अब नहीं रहना है, दिल को बहला कर,
बस अब कदम रखना है,धरती हिला कर।

चप्पा चप्पा पुकार सुनें, दिल दहला कर,
जगह जगह हुँकार हो, यों पुकार सुन कर,
नहीं समय उठो अब यों फुफकार सुन कर,
गंवाना नही इक पल भी, गुंजार सुन कर।

इल्ज़ाम बहुत झेले हैं,समाज में आ कर,
और नहीं सहना है, देखा है आज़मा कर,
यही पैगाम पहुँचाना है, घर घर जा कर,
ज़िन्दगी को बेहतर बनाना है, ठान कर। 
इल्ज़ाम बहुत झेले हैं,समाज में आ कर,
और नहीं सहना है, देखा है आज़मा कर,
यही पैगाम पहुँचाना है, घर घर जा कर,
ज़िन्दगी को बेहतर बनाना है, ठान कर।

समय की मांग को सुनो, मन लगा कर,
सच्चाइयों को देखो, गम्भीर ही हो कर,
juhigrover8717

Juhi Grover

New Creator

इल्ज़ाम बहुत झेले हैं,समाज में आ कर, और नहीं सहना है, देखा है आज़मा कर, यही पैगाम पहुँचाना है, घर घर जा कर, ज़िन्दगी को बेहतर बनाना है, ठान कर। समय की मांग को सुनो, मन लगा कर, सच्चाइयों को देखो, गम्भीर ही हो कर, #yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqpoetry #yqchallenge