इल्ज़ाम बहुत झेले हैं,समाज में आ कर,
और नहीं सहना है, देखा है आज़मा कर,
यही पैगाम पहुँचाना है, घर घर जा कर,
ज़िन्दगी को बेहतर बनाना है, ठान कर।
समय की मांग को सुनो, मन लगा कर,
सच्चाइयों को देखो, गम्भीर ही हो कर, #yqbaba#yqdidi#yqquotes#yqpoetry#yqchallenge