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ग़ज़ल गजब हम पर वो अब ढ़ाने लगे हैं । हमें जो देख मु

ग़ज़ल

गजब हम पर वो अब ढ़ाने लगे हैं ।
हमें जो देख मुस्काने लगे हैं ।।१

नज़र आते चुराते जो नज़र थे ।
वही अब देखने आने लगे हैं ।।२

दिलों में बात जो अपने रखे थे ।
वही अब राज़ बतलाने लगे हैं ।।३

नहीं हो नूर से तुम कम किसी भी ।
बुलाकर चाँद दिखलाने लगे हैं ।।४

लिए थे सात फेरे संग जिनके।
वचन वो याद दिलवाने लगे हैं ।।५

हिजाबों मे जिसे अब तक छुपाया ।
उसे ही सैर करवाने लगे हैं ।।६

करें बहकीं हुई बातें सजन अब ।
सुनो वो यार सठयाने लगे हैं ।।७

चले है लूटने जो अब वतन को ।
वही अब मार्ग बतलाने लगे हैं ।।८

प्रखर की बात मत पूछो किसी से ।
सुना है यार पगलाने लगे हैं ।।९

२७/०४/२०२३    -  महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल

गजब हम पर वो अब ढ़ाने लगे हैं ।
हमें जो देख मुस्काने लगे हैं ।।१

नज़र आते चुराते जो नज़र थे ।
वही अब देखने आने लगे हैं ।।२
ग़ज़ल

गजब हम पर वो अब ढ़ाने लगे हैं ।
हमें जो देख मुस्काने लगे हैं ।।१

नज़र आते चुराते जो नज़र थे ।
वही अब देखने आने लगे हैं ।।२

दिलों में बात जो अपने रखे थे ।
वही अब राज़ बतलाने लगे हैं ।।३

नहीं हो नूर से तुम कम किसी भी ।
बुलाकर चाँद दिखलाने लगे हैं ।।४

लिए थे सात फेरे संग जिनके।
वचन वो याद दिलवाने लगे हैं ।।५

हिजाबों मे जिसे अब तक छुपाया ।
उसे ही सैर करवाने लगे हैं ।।६

करें बहकीं हुई बातें सजन अब ।
सुनो वो यार सठयाने लगे हैं ।।७

चले है लूटने जो अब वतन को ।
वही अब मार्ग बतलाने लगे हैं ।।८

प्रखर की बात मत पूछो किसी से ।
सुना है यार पगलाने लगे हैं ।।९

२७/०४/२०२३    -  महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल

गजब हम पर वो अब ढ़ाने लगे हैं ।
हमें जो देख मुस्काने लगे हैं ।।१

नज़र आते चुराते जो नज़र थे ।
वही अब देखने आने लगे हैं ।।२

ग़ज़ल गजब हम पर वो अब ढ़ाने लगे हैं । हमें जो देख मुस्काने लगे हैं ।।१ नज़र आते चुराते जो नज़र थे । वही अब देखने आने लगे हैं ।।२ #शायरी