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सवालो के शहर में दर्द भी काफी था साथ मेरे । मै अक

सवालो के शहर में दर्द भी काफी 
था साथ मेरे ।
मै अकेला कहां था तुम भी तो थी
 याद नहीं ।
हकीकत में तो अंधेरे का सफर ही 
ज्यादा था ।
सिर्फ उम्मीदों में ही तो सवेरे का 
वादा रहा।

©Vickram
  सिर्फ उम्मीदों ने तो जिंदा रखा,,
वर्ना हम कबके मर चुके थे,,
vickram4195

Vickram

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सिर्फ उम्मीदों ने तो जिंदा रखा,, वर्ना हम कबके मर चुके थे,, #शायरी

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