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गिरी जबसे रुग्ण काया, कौन है जो काम आया, अंधेरे

गिरी जबसे रुग्ण काया, 
कौन है जो काम आया, 

अंधेरे  में  देख अक्सर, 
छोड़ जाता साथ साया, 

किसे फुर्सत है यहाँ पर, 
कौन करता वक्त जाया, 

धूप से तपते  बदन पर, 
ज़िन्दगी करती न छाया,

बस इसी संघर्ष ने फिर,
हौसला  इतना  बढ़ाया,

एक ज़र्रे को फलक पर 
वक़्त ने लाकर बिठाया,

पूछते हैं  लोग  'गुंजन',
क्यों नहीं तुमने बताया,
-शशि भूषण मिश्र'गुंजन'

©Shashi Bhushan Mishra #कौन है जो काम आया#
गिरी जबसे रुग्ण काया, 
कौन है जो काम आया, 

अंधेरे  में  देख अक्सर, 
छोड़ जाता साथ साया, 

किसे फुर्सत है यहाँ पर, 
कौन करता वक्त जाया, 

धूप से तपते  बदन पर, 
ज़िन्दगी करती न छाया,

बस इसी संघर्ष ने फिर,
हौसला  इतना  बढ़ाया,

एक ज़र्रे को फलक पर 
वक़्त ने लाकर बिठाया,

पूछते हैं  लोग  'गुंजन',
क्यों नहीं तुमने बताया,
-शशि भूषण मिश्र'गुंजन'

©Shashi Bhushan Mishra #कौन है जो काम आया#

#कौन है जो काम आया# #शायरी