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White बाबूजी ********** ए बाबू जी मन के बतिया, का

White बाबूजी 
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ए बाबू जी मन के बतिया, काहें ना बतावत रहनी
रहल अभाव तबो हमनी के,कहवां से खियावत रहनी,
ए बाबू जी मन के.................
हमनी के ररुआ पढ़ा लिखाके, कईसे सभ्य बनवनी
ठहुना में रहल दर्द तबो,आपन जांगर ठेठवनी,,
टीस के पीस के दांते से,कबो ना जतावत रहनी
ए बाबूजी मन के बतिया, काहें ना बतावत रहनी,,
दर दवाई हित नाता,सबके पार लगावत रहनी
चेहरा पर रखी के हंसी रउवा,हौले हौले हसावत रहनी,,
ए बाबू जी मन के बतिया..................
हमनी के रोज कमाते बनी, तबो बाटे खूब परेशानी
रऊआ तर तरकारियो के, कईसे जुगाड़ बनावत रहनी,,
सादगी के मूरत चमकत सूरत,थोड़ा बहुते सब रहल
 जुरत,
मान सम्मान से रही के समाज में,सीना तान देखावत रहनी
ए बाबू जी मन के बतिया.......................
ए बाबूजी इहे मंतर हमरो के बताई,मान सम्मान से 
अपना समाज में शान से सर हम उठाई,
दूसरे खातिर भी आपन खून, काहें जरावत रहनी
ए बाबूजी मन के बतिया, काहें ना बतावत रहनी।।

©Ashok Verma "Hamdard"
  #बाबूजी