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Best बाबूजी Shayari, Status, Quotes, Stories

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Nilam Agarwalla

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gaurav tiwari

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Mamta Tripathi

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Megíçål MáAhî

#चौखटपरशाम #बाबूजी #yqdidi #yqbaba #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #megical #collabwithme Rekha Chaturvedi

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चोखट पे बैठी है शाम आजकल
हैरान सी है खुद से 
 के वो मौसम ए इश्क
वो प्यारी सी मासूम सी 
मोहब्बत 
और तुम 
पता नही कहाँ गुम हो.......।

 #चौखटपरशाम 
#बाबूजी 
#yqdidi #yqbaba  #YourQuoteAndMine
Collaborating with  YourQuote Didi #megical #collabwithme Rekha Chaturvedi

Suman Rakesh Shah

#चौखटपरशाम #बाबूजी #yqdidi #yqbaba #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi चौखट पे बैठी है शाम चाँद के इंतज़ार में मगर इंतज़ार लंबा हो चला और फिर कौन जाने

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चौखट पे बैठी है शाम
चाँद के इंतज़ार में
मगर इंतज़ार लंबा हो चला
और फिर कौन जाने
चाँद खोया हो 
सितारों की महफ़िलों में
सोचकर शाम ढल जाती है
रात के आगोश में ...सुमन
 #चौखटपरशाम 
#बाबूजी 
#yqdidi #yqbaba  #YourQuoteAndMine
Collaborating with  YourQuote Didi  
चौखट पे बैठी है शाम
चाँद के इंतज़ार में
मगर इंतज़ार लंबा हो चला
और फिर कौन जाने

Vikas Pandey

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Nitesh Kumar jha ....✓

सच बात पूछती हूं बताओ ना बाबू जी #father #बाबूजी #पिताजी #niteshkumarjha

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#maxicandragon

याद है जब वो 50 के हुए, तब उनका पहला जन्मदिन आया, चौक गए हॉ, भई जब वो 50 के हुए, तब उनका पहला जन्मदिन आया, मैने, बाबुजी का पहला जन्मदिन मनाया सारे घर मे एक माहौल सा छाया वाह वाह क्या केक बनाया #बाबूजी #Sadharanmanushya #HappyBirthdayJagjitSingh

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याद है
जब वो 50 के हुए, तब उनका पहला जन्मदिन आया,
चौक गए
हॉ, भई
जब वो 50 के हुए, तब उनका पहला जन्मदिन आया,
मैने, बाबुजी का पहला जन्मदिन मनाया
सारे घर मे एक माहौल सा छाया
वाह वाह क्या केक बनाया
पहले कभी जन्मदिन नही मना था
और न ऐसा केक बना था
अम्माजी नानी अण्डा तक नही खाती थी
पर गोलू ने बनाया केक, तो चाव से खाती थी
उसके बाद तो आए जन्मदिन अनेक
कही इसके कही उसके
और वो रेडीमेड केक
मुझे तो लगता वो झूठ भी कहते थे
एक्सीडेंट के बहाने 31 को घर पे रहते थे 
के कोई तो 1 को आएगा
और मेरा जन्मदिन मनाएगा
गोलू अपने हाथ से
फिर वही केक बनाएगा
लौटा हुआ वक्त क्या कभी आता है
अब कोई त्योहार नही मनाता है
अब ना अम्मा न बाबूजी आएंगे
हमें न पता था के वो ऐसे जाएंगे
कुछ है जो आज भी जश्न मनाते है
चुपचाप गुपचुप सब एक हो जाते है
हम ही बावरे थे कहॉ हो आ जाना चिल्लाते थे 
और ये है के शश्श्श्... कहके जश्न  मनाते है
अब न कोई आएगा
न कोई जाएगा
न कोई त्योहार मनाएगा
इतनी अब बची कहॉ के ,
कोई किसी को बुलाएगा
बस लम्हा याद आएंगा
बस लम्हा याद आएंगा
बस लम्हा याद आएंगा
#जन्मदिन 
#बाबूजी #SadharanManushya

©#maxicandragon याद है
जब वो 50 के हुए, तब उनका पहला जन्मदिन आया,
चौक गए
हॉ, भई
जब वो 50 के हुए, तब उनका पहला जन्मदिन आया,
मैने, बाबुजी का पहला जन्मदिन मनाया
सारे घर मे एक माहौल सा छाया
वाह वाह क्या केक बनाया

A.R.Mallik

परिवार और जिंदगी

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परिवार और जिंदगी 
         
        "रेणु की शादी हुए, पांच साल हो गए थे, उसके पति थोड़ा कम बोलतें थे पर बड़े सुशील और संस्कारी थे, माता पिता जैसे सास ,ससुर और एक छोटी सी ननद और एक नन्ही सी परी जैसी   बेटी भरा पूरा परिवार था, दिन खुशी से बीत रहे थे ।।।।                                                                      

        आज रेणु बीते दिनों को लेकर बैठी थी , कैसे उसके पिताजी ने बिना मांगे 30 लाख रुपये अपने दामाद के नाम कर दिए, जिससे उसकी बेटी खुश रहे, कैसे उसके माता पिता ने धूमधाम से उसकी शादी की, बहुत ही आनन्दमय तरीके से उसका विवाह हुआ था।।।                                         

         खैर ये बात नही थी , बात तो ये थी रेणु के बड़े भाई ने अपने माता   पिता को घर से निकल दिया था , क्योकि पैसे तो उनके पास बचे नही थे , जितने थे रेणु की शादी में सब खर्च हो गए थे, फिर रेणु के भाई अपने माँ पापा को क्यो रखने लगे रेणु के माँ पापा घर से निकल कर एक मंदिर में रुके थे।।।                                     
 
           रेणु आज उनसे मिल कर आई थी औऱ बहुत उदास रहने लगी थी, आखिर बेटी थी, अपने माँ पापा के लिए कैसे दुःख नही होता, कितने नाजो से पाला था रेणु को उसके पापा ने बिल्कुल अपनी गुड़िया बनाकर रखा था ।।।।।             

      आज वही माँ पापा मंदिर के कोने में भूखे प्यासे पड़े थे।।।                  
    
        रेणु अपने पति से बात करना चाहती थी, वो अपने माँ पापा को अपने घर ले आये पर वो हिम्मत नही कर पा रही थी , क्योकि रेणु के पति कम बोलते थे, अधिकतर चुप रहते थे, जैसे तैसे रात हुई रेणु के पति और पूरा परिवार खाने की टेबल पर बैठा था , उसने डरते हुए अपने पति से कहा ।।।।। 

        सुनिए जी भय्या भाभी ने मा पापा को घर से निकल दिया है, वो मंदिर में रह रहे है, आप कहे तो मैं उन्हें अपने घर ले आउ , रेणु के पति ने कुछ नही कहा और खाना खत्म कर के अपने कमरे में चल गया, सब लोग अभी तक खाना खा रहे थे, पर रेणु के मुख से एक निवाला भी नही उतरा था, उसे बस यही चिंता सता रही थी कि अब क्या होगा इन्होंने भी कुछ कहा नही, रेणु आंखों में नमी लिए सबको खाना परोसा रही थी।।।।।            

       थोड़ी देर बाद रेणु के पति कमरे से बाहर आये और रेणु के हाथों में नोट का बंडल देते हुए बोले इससे माँ पापा के लिए एक घर खरीद दो और उनसे कहना किसी बात की फिक्र न करे मैं हु ना।।  

     रेणु ने बात काटते हुए कहा आपके पास इतने पैसे कहा से आये जी?                                   

      रेणु के पति ने कहा ये आपके पापा के दिये गए ही पैसे है, मेरे नही थे इसलिए मैंने इसका इस्तेमाल नही किया , वैसे भी उन्होंने मुझे ये पैसे जबरजस्ती दिए थे शायद उन्हें पता था एक दिन ऐसा आएगा।।।।।।।               

          रेणु के सास ससुर अपने बेटे को गर्व भारी नज़रो से देखने लगे और उनके बेटे ने भी अपने अम्मा बाबूजी से कहा सब ठीक है ना???                                                
            उसके अम्मा बाबूजी ने कहा बेटा बड़ा नेक ख्याल है और बेटा हम तुम्हे बचपन से जानते है ये हमे  पता है, अगर बहु अपने माँ पापा को यह ले आयी तो बहु के मा पापा शर्म के मारे  सर उठा कर जी नही पाएंगे इसलिए तुमने उन्हें अलग घर दिलाने का फैसला किया है और रही बात इस दहेज के पैसे की तो हमे कभी जरूरत ही नही पड़ी इन पैसे की और नही हमारी मांग थी दहेज की वो आपके पापा की अमानत के रूप में हमारे पास पड़े थे, क्योकि तुमने कभी भी हमे किसी चीज की कमी नही होने दी, खुश रहो बेटा कहकर रेणु और उसके पति को छोड़ कर सब सोने चले गए।।।।।।               
            रेणु के पति ने रेणु से कहा अगर तुम्हें पैसो की जरूरत हो तो मुझसे  कहना अपने माँ पापा से  नही  मांगना और हा सुनो घर खरीदने के पैसे कहा से आये तो कुछ भी बहाना बना देना वरना वो अपने आपको दिल ही दिल मे कोसते रहेंगे, चलो अच्छा अब मैं सोने जा रहा हु मुझे कल सुबह दफ्तर भी जाना है ऐसा  बोल कर रेणु के पति कमरे में सोने चले गए।।।।।                                             

               और रेणु खुद को कोसने लगी मन ही मन  न जाने उसने क्या क्या सोच लिया था कि मेरे पति ने दहेज में पैसे लिए है वो क्या मेरे माँ पापा की मदद करेंगे अगर मेरे पति मेरे माँ पापा की मदद नही करेंगे तो में भी उनके अम्मा बाबूजी की सेवा नही करूँगी, रेणु सब समझ गई थी मेरे पति कम बोलते है पर है बड़े समझदार।।।।

        रेणु  उठी और अपने पति के पास गई और माफी मांगने लगी और उसने अपने पति को सब बात दिया कि वो उनके  बारे मे क्या सोचती थी , रेणु के पति ने कहा कोई बात नही नासमझी में ये सब होता है , तुम्हारी जगह अगर मैं होता तो मैं भी यही सोचता रेणु की खुशी का कोई ठिकाना नही था , एक और उसके मा पापा की परेशानी दूर दूसरी और उसे उसके पति ने माफ कर दिया।।।।।।।।।                                  
                रेणु ने खुश और शर्माते हुए अपने पति से कहाँ मैं आपको गले लगा लू उसके पति ने बड़े जोर की हंसी हंसते हुए कहा मुझे अपने कपड़े गंदे नही करना और खुद ने रेणु को गले लगा लिया और दोनों जोर जोर से हंसने लगे और रेणु को अपने कम बोलने वाले पति का ज्यादा प्यार समझ आ गया।।।।।"💕💕💞💞                

           हर मर्द बुरा नही होता गौर करना 
            कुछ अच्छे भी होते है.........!!!!!

Aap ko ye post Kesi lagi Plzz like Aur comment jarur karo taki me dusri post karu 

Writen by A.R.Mallik

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Abhishek singh Anshu

#OpenPoetry माँ #माँ #poem

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#OpenPoetry लेती नहीं दवाई "माँ",
जोड़े पाई-पाई "माँ"।

दुःख थे पर्वत, राई "माँ",
हारी नहीं लड़ाई "माँ"।

इस दुनियां में सब मैले हैं,
किस दुनियां से आई "माँ"।

दुनिया के सब रिश्ते ठंडे,
गरमागर्म रजाई "माँ" ।

जब भी कोई रिश्ता उधड़े,
करती है तुरपाई "माँ" ।

बाबू जी तनख़ा लाये बस,
लेकिन बरक़त लाई "माँ"।

बाबूजी थे सख्त मगर ,
माखन और मलाई "माँ"।

बाबूजी के पाँव दबा कर
सब तीरथ हो आई "माँ"।

नाम सभी हैं गुड़ से मीठे,
मां जी, मैया, माई, "माँ" ।

सभी साड़ियाँ छीज गई थीं,
मगर नहीं कह पाई  "माँ" ।

घर में चूल्हे मत बाँटो रे,
देती रही दुहाई "माँ"।

बाबूजी बीमार पड़े जब,
साथ-साथ मुरझाई "माँ" ।

रोती है लेकिन छुप-छुप कर,
बड़े सब्र की जाई "माँ"।

लड़ते-लड़ते, सहते-सहते,
रह गई एक तिहाई "माँ" ।

बेटी रहे ससुराल में खुश,
सब ज़ेवर दे आई "माँ"।

"माँ" से घर, घर लगता है,
घर में घुली, समाई "माँ" ।

बेटे की कुर्सी है ऊँची,
पर उसकी ऊँचाई "माँ" ।

दर्द बड़ा हो या छोटा हो,
याद हमेशा आई "माँ"।

घर के शगुन सभी "माँ" से,
है घर की शहनाई "माँ"।

सभी पराये हो जाते हैं,
होती नहीं पराई "माँ"। #OpenPoetry माँ
#माँ
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