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सुनो एक दरबार लगाना हरि के द्वारे अर्जी हैं लगाना

सुनो एक दरबार लगाना
हरि के द्वारे अर्जी  हैं लगाना

दुनिया में बड़ा क्लेश भरा 
स्वामी हमें उससे पार लगाना

अपने चरण पद बैठाना
ओ गिरधारी दया हम पर बरसाना

सुनो एक दरबार लगाना
 हरि के द्वारे अर्जी है लगाना

भूल चूक हो माफ कर
 सही राह दिखाना 

छल द्वेष ना मन घर करें
सत्कर्म राह सदा पथ चलाना 

सुनो एक दरबार लगाना 
हरि के द्वारे अर्जी है लगाना

क्रोध चिंतन विकार से बचाना
स्वतंत्र मन  प्रेम सुधा रस बरसाना

गुण अवगुण की परिभाषा समझें
मोह माया के बंधन से मुक्ति दिलाना

सुनो एक दरबार लगाना
हरि के द्वारे अर्जी है लगाना !

©kanchan Yadav
  #हरी