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न पूछो मुझसे कैसे जीता हूँ, अब मैं अधूरे ख

न  पूछो  मुझसे  कैसे  जीता  हूँ,
अब  मैं  अधूरे  ख़्वाब  पीता  हूँ!

दफ्न  हुए   सीने   में  कितने  ही,
बिखरे - दबे  अरमान  पीता   हूँ !

ज़ख्म   दिल   को  दे   गया   जो,
देकर  उसको   इल्जाम  पीता  हूँ !

ग़म- ए-  इश्क़   भूल  जाने   को,
मय   के   भरे   जाम   पीता   हूँ !

दर्द -ए- मोहब्बत  हो   कम  ज़रा
सोच  के  सुबह - शाम  पीता  हूँ!

शरीफ़ों  की  बस्ती  में  बसर  मेरा,
चुपके,  कभी  सरेआम  पीता  हूँ!

दरिया -ए- आंख  सूख  गया   है,
अब  तो बहते  जज़्बात  पीता  हूँ!

वो  गया  ही  नहीं  इस   दिल  से,
अब  मैं  गुजरे  एहसास  पीता  हूँ!

©Santosh Sawner अधूरे ख्वाब पीता हूं! #tanha #Shayari #gajal #गज़ल #poetry #poem

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