काश ये दर्द और ये तड़प जीवनमे हमेशा बनी रहे क्योंकि मेरी सलामती इसीमे ही है क्योंकि जिस दिन ये दर्द मुझे छोड़ देगा मैं भी नही रहूंगा इस तन्हाई से मेरा कुछ तो भला होकर रहेगा शायद तभी तो मुझे अपने होने का अंदाज़ भी होता रहेगा उसकी आँख से आंसू नही मैं बहता हूं उसे अभी भी उम्मीद है मैं शायद कब्र से एक दिन लौटूगा भविष्य में क्या होने वाला है ये बात मेरा भाग्य तय नही करेगा ये सब तो संस्कार सरोकार और आने वालेमेरे सपनो से तय होगा ©Parasram Arora सलामती......