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फसल (दोहे) फसल उगे जब खेत में, मिलती खुशी अपार। म

फसल (दोहे)

फसल उगे जब खेत में, मिलती खुशी अपार।
मिले कृषक को चैन तब, है उसका आधार।।

फसल बिगड़ती जब कभी, लगे ह्रदय को चोट।
कृषक रहे अवसाद में, दिखे न उसको ओट।।

अन्न फसल से ही मिले, कहते सभी सुजान।
खेतों में श्रम जो करे, है वो ही भगवान।।

फसल उगाने के लिए, करता है वह काम।
होती उसकी लालसा, उचित मिले फिर दाम।।

अधिक परिश्रम साधना, और वही संसार।
फसल उगाना कर्म है, ये उसका उद्गार।।
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देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit 
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