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हाँ कंही से बिखर गया हूँ मै, अपने घर में यूँ लगे ज

हाँ कंही से बिखर गया हूँ मै,
अपने घर में यूँ लगे ज्यूँ बेगाना शहर गया हूँ मै!
गैरों में हूँ गैर और अपनों में जैसे मर गया हूँ मै,
हँसने वालों से डर गया हूँ मै!
महफिल की रौनक में भी
ख़ामोशी का बन मंजर गया हूँ!
हर ख़ुशी हर गम से अब तो
हो बेअसर गया हूँ,
अब तो राहों में जैसे इक टूटा पथ्थर पड़ा हूँ l
हाँ हँसने वालों से डर गया हूँ मै!!

©Madan Faniyal Singh
  #हँसने वालों से डर गया हूँ मै
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Faniyal

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#हँसने वालों से डर गया हूँ मै #शायरी

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