ये मिलन भी क्या कोई मिलनहै इससे तो हिज़्र के दिन ज्यादा अच्छे लगे सीधि सच्ची बाते हमें चुभती है झूठ फरेब के बोल हमेँ अच्छे लगे अमीरी हमेँ रास कहां आई है इससे तो गरीबी के दिन हमेँ अच्छे लगे ये नवाबी हमसे सम्भलती नही इससे तो बेगारी के दिन हमेँ अच्छे लगे ©Parasram Arora अच्छे लगे.....