ऐसा केवल हमारे अहम के कारण होता है।जब हम सोचते हैं कि बाक़ी सब बेबकूफ़ हैं। अंग्रेजी में एक कहावत है --- "I am is better than any other" मेरे जितना कोई नहीं जानता या मैं सबकुछ जानता हूँ। स्वयं के अहंकार का पोषण करने वाले अक़्सर सुझाव मिलने पर चिढ़ते हैं और उनकी यह चिढ़ शुभ चिंतकों से उनको दूर ले जाती है।वे स्वेच्छाचारी हो कर मार्ग से भटक जाते हैं।दुःख और अकेलापन महसूस करते हैं।जब तक उनकी समझ में यह बात आती है वे बहुत कुछ खो चुके होते हैं।इसलिए हर एक अभिव्यक्ति को सुनना और समझना जरूरी है।भले ही कोई इंसान क्रोध में कुछ कह रहा हो तो भी उसे ध्यान पूर्वक सुनना चाहिए क्योंकि क्रोध में अधिकतर लोग सच कहते हैं। मैं अपनी बात संक्षिप्त में ही कहना पसंद करता हूँ इसलिए इतना ही कहूंगा कि --- हमको होना चाहिए जैसे सूप सुभाय। सार सार को गहि लहै थोथा देइ उड़ाय।। ©दिव्यांशु पाठक _______________________________________ #ख़यालोंकीउथलपुथल ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :)