वक्त बेवक्त लम्हा रंगहीन हो गयी, थी एक हसीना जिसको नाज थी मेरा अच्छाईयों पर, पता नही किस जुर्म की दे रही सजा हमको कुछ ना किये हम••2 फिर भी उनकी नजर में मेरा गुनाह संगीन हो गई।। ©Um€Sh Kum@r #rain #रंग #कविता #गए