कैसे भूल जाऊँ पहली बारिश की, पहली मुलाकात, जिन्दगी के हसीन पल, दिल में उठते हुए जज़्बात, उनका संग में चलना, नज़रें बचाके चुपके से देखना, कभी शर्माना, सकुचाना, कभी आगे निकल जाना, बिजलियों के चमक में, उनका चेहरा नज़र आना, बादलों की गर्जन सुनकर, डरना और सहम जाना, हाथों को हाथों की छुअन पाकर उनका संभलना, अग्नि के संग में जैसे किसी मोम का पिघलना, आज तक भूल नहीं पाया, हसीन पल का साथ, जी हाँ, पहली बारिश में हुई थी उनसे मुलाकात। *#पहली_बारिश_team_alfaz* #newchallenge There is new challenge of poem/2 line/4 line in whatsapp group (link in bio) Today's Topic is *पहली बारिश*