निगाहों में नजारो के बेशकीमती ख़ज़ाने है उठ गए कदम मेरे रास्ते खुद ही बनाने है मुझे चाहत है आसमानों की पंख पूरे फैलाने है किस्मत के मिले जो वो तो सिर्फ सहारे है अपनी पहचान अपने वजूद के तो होते ठाट निराले हैं बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla ख़ज़ाने