जिंदगी में इत्तेफ़ाक से मिले हम, कुछ लम्हें साथ मेें गुज़ारे, कुछ गुफ़्तगू हुई, प्यार हुआ, जिंदगी साथ निभाने का वादा हुआ, पर कुदरत को शायद यह मंजूर नहीं था, बात आगे बढ़े उससे पहेले ही, दो दिल और एक धड़कन जुदा हो गये, ना चाहकर भी कुदरत ने हमें, तोल दिया तन्हाई के तराजू मे, तेरे बग़ैर, यह दौलत और यह शोहरत किस काम की, जब तक तुम थे यह दिल सदाबहार था, वीराना भी हमें सुहाना लगता था, तन्हाइयों का खंडहर भी हमें महल लगता था, तेरे संग था तो दिन गुलजार था, अकेले दिन बेज़ार सा लगता है, जब तक तुम थी चेहरे पर एक खुशी थी, तेरे जाने के बाद एक मायूसी ही छाई है, तेरे बग़ैर यह जन्नत भी जहन्नुम सी लगे मुझे, तेरे बगैर जीना जैसे जीते जी मरना ही है। -Nitesh Prajapati ♥️ Challenge-759 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।