ग़ज़ल :- आपको दिल पुकारे चले आइए । राह पलके बुहारे चले आइए ।।१ क्या हँसी हैं नजारे चले आइए । चल पड़े नैन धारे चले आइए ।।२ यार छत पर कभी आप आये नज़र । तो करें हम इशारे चले आइए ।।३ पास बैठो कभी तो घड़ी दो घड़ी । आपको हम निहारे चले आइए ।।४ होश बाकी रहा आपको देखकर । जुल्फ़ फिर हम सँवारे चले आइए ।।५ चाह है आपको इक झलक देखना । प्राण से आप प्यारे चले आइए ।।६ लूट कर ले गई दिल हसीना वही । जो किया कल इशारे चले आइए ।।७ शाम तंहा यहां यार अपनी लगे । बाँह फिर हम पसारे चले आइए ।।८ दर्द का आज मारा प्रखर है पड़ा । आपके हैं सहारे चले आइए ।।९ २९/१२/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- आपको दिल पुकारे चले आइए । राह पलके बुहारे चले आइए ।।१ क्या हँसी हैं नजारे चले आइए । चल पड़े नैन धारे चले आइए ।।२